समय की पीठ पर सवार होकर मत ललकारो मुझे
तुम कभी जान नहीं पाओगे, मिट्टी की तासीर
तुम कभी समझ नहीं पाओगे निष्ठा का अर्थ
तुम सीख नहीं पाओगे आत्मा की जुबान
याद रखो!
मैं समय की पीठ पर नहीं,
उसकी छाती पर सवार हूं
जब-जब तुम मुझे ललकारोगे
तब-तब मैं समय की छाती फाड़
निकालूंगा अपने हिस्से की आग।
हां! सच कहता हूं
समय रहते
उस आग..
से बचो!
जो मेरे हिस्से की है।
Thursday, February 4, 2010
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